हम आपको बताते है कि वसीयत नाम/इच्छा पत्र क्या होता है। जब कोई व्यक्ति अपनी अन्तिम इच्छा किसी लेख में माध्यम से किसी वकील या किसी या अपने किसी कुटुम्बी के सामने प्रकट करता है, तथा किसी वकील या किसी कुटुम्बी के द्वारा दो सक्षम गवाहो की उपस्थिति में इच्छा पत्र लिखित किया जाता है तो वह वसीयत/इच्छापत्र कहलाता है। वसीयत/इच्छा पत्र का रजिस्टर्ड होना आवश्यक नही है। यदि वसीयत/इच्छापत्र किसी स्टाम्प पर न लिखा जाकर किसी सादा पेपर पर भी लिखा जाता है तो वसीयत/इच्छा पत्र उसी प्रकार कानूनी रूप से वैध रहता है जिस पर हम कोई कानूूनी दस्तावेज रजिस्टर्ड करवाकर कानूनी कार्याे में उपयोग में लेते है।
यह कि वसीयत कानूनी रूप से वसीयतकर्ता की स्वअर्जित चल व अचल संपदा की ही वसीयत की जा सकती है, कानूनी रूप से पैतृक संपदा की वसीयत पूर्णतया अवैध होती है। इसलिये वसीयत बनाते समय निम्न बातो का ध्यान रखा जाना उचित है। की वसीयत की जा रही संपदा कहीं पैतृक संपदा तो नही।
वसीयत में पैतृक संपदा को लेकर कुछ अपवाद भी उपस्थित है जैसा कि किसी व्यक्ति को कोई संपदा अपने पिता की विरासत में प्राप्त हुई है, परन्तु वसीतयकर्ता के आज दिन कोई जायन्दा व दत्तक संतान नही है, और उसकी संपदा को साज संभाल करने वाला कोई व्यक्ति/कुटुम्बी वसीयत के दिन जीवित नही है, और वसीयत कर्ता किसी दीगर व्यक्ति/संस्था/मन्दिर/धर्मशाला आदि को अपनी पैतृक संपदा सुपुर्द करना चाहता है तो वह अपने मरणासन्न के समय वसीयत/इच्छा पत्र बनाकर अपनी संपदा संबंधित के पक्ष में वसीयत/इच्छापत्र बना सकता है।